Gold Silver Rate : भारतीय सर्राफा बाजार में 6 जुलाई 2025 को घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में सोने और चांदी की कीमतों में तेज़ गिरावट दर्ज की गई। यह गिरावट निवेशकों के लिए थोड़ा चौंकाने वाली रही क्योंकि पिछले कुछ महीनों में सोना-चांदी की कीमतें लगातार बढ़ती जा रही थीं। लेकिन अब अचानक आई इस गिरावट से बाजार में हलचल मच गई है। आखिर ऐसा क्या हुआ कि सोने-चांदी की कीमतों में इतना बदलाव आ गया और आगे इसका क्या असर हो सकता है।
सोने की कीमत में कितनी गिरावट आई?
आज 6 जुलाई को मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर सोने के भाव में लगभग ₹700 से ₹900 प्रति 10 ग्राम तक की गिरावट देखी गई। सुबह के ट्रेडिंग सेशन में सोना ₹71,200 प्रति 10 ग्राम के आस-पास था, जो दोपहर होते-होते ₹70,300 तक गिर गया।
यह गिरावट छोटी नहीं है, क्योंकि आम तौर पर सोने की कीमत रोज़ कुछ सौ रुपये ऊपर-नीचे होती है, लेकिन एक ही दिन में लगभग ₹900 की कमी निवेशकों के लिए एक संकेत है कि बाजार में अस्थिरता बढ़ रही है।
चांदी में भी नहीं रही चमक
सोने के साथ-साथ चांदी की चमक भी इस दिन फीकी पड़ी। 5 जून को चांदी की कीमतों में ₹1,500 से ₹2,000 प्रति किलो तक की गिरावट दर्ज की गई। एमसीएक्स पर चांदी सुबह ₹91,000 प्रति किलो थी, लेकिन शाम तक यह घटकर ₹89,000 के नीचे आ गई।
इससे उन लोगों को झटका लगा जो चांदी में निवेश को लेकर उत्साहित थे और उम्मीद कर रहे थे कि यह ₹95,000 तक पहुंच सकती है।
क्यों गिरे सोना-चांदी के दाम?
डॉलर की मजबूती: अंतरराष्ट्रीय बाजार में डॉलर की कीमत बढ़ने से सोने-चांदी की कीमतों पर सीधा असर पड़ता है। डॉलर मज़बूत होता है तो निवेशक सोने से पैसा निकालकर डॉलर आधारित निवेश की तरफ जाते हैं।
अमेरिका के ब्याज दरों का असर: अमेरिकी फेडरल रिज़र्व की ओर से ब्याज दरों में बदलाव को लेकर चल रही अटकलों ने भी निवेशकों को सतर्क कर दिया है। माना जा रहा है कि अगर ब्याज दरें बढ़ती हैं तो लोग सोने की बजाय बैंकिंग और बॉन्ड में निवेश करेंगे।
चीन और यूरोप की मंदी की खबरें: वैश्विक बाजार में चीन और यूरोप की आर्थिक स्थिति को लेकर चिंता बढ़ रही है। इसकी वजह से कमोडिटी मार्केट में उतार-चढ़ाव देखा जा रहा है।
निवेशकों के लिए क्या है संकेत?
जो लोग सोने-चांदी में निवेश करते हैं, उनके लिए यह गिरावट एक मौका भी हो सकता है। कीमतें जब गिरती हैं, तब बहुत से लोग इसमें निवेश करते हैं ताकि भविष्य में मुनाफा कमा सकें। हालांकि, विशेषज्ञ कहते हैं कि जल्दबाज़ी न करें और बाजार की स्थिति को कुछ दिन और देख लें।
अगर आप लॉन्ग टर्म निवेशक हैं और फिजिकल गोल्ड या ईटीएफ में निवेश करना चाहते हैं, तो यह समय सोच-समझकर कदम उठाने का है।
आगे क्या हो सकता है?
- अगर डॉलर और मजबूत होता है, तो सोने-चांदी की कीमतों में और गिरावट संभव है।
- वहीं अगर अंतरराष्ट्रीय बाजार में कुछ राहत मिलती है या फेड ब्याज दरें स्थिर रखता है, तो इनकी कीमत फिर से चढ़ सकती है।
- भारत में मानसून और त्योहारों का सीजन भी सोने की कीमतों को प्रभावित करेगा।
निष्कर्ष: गिरावट डराने वाली नहीं, पर सावधानी ज़रूरी
6 जून की कीमतों में गिरावट ने ये तो साफ कर दिया है कि सोना-चांदी का बाजार फिलहाल स्थिर नहीं है। इसलिए निवेशकों को जल्दबाज़ी नहीं करनी चाहिए। ये गिरावट कुछ दिनों के लिए हो सकती है या लंबी भी खिंच सकती है – इसका आकलन करना ज़रूरी है।
अभी का समय सबसे अच्छा होगा कि बाजार की दिशा को समझें और किसी भी सलाहकार से पहले राय ले। सोना चांदी की कीमतों में गिरावट का दौर है लेकिन साझेदारी से लिया गया फैसला ही भविष्य में लाभदायक होगा।
Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों, बाजार विश्लेषण और सामान्य आर्थिक रुझानों पर आधारित है। यह केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से साझा की गई है। कृपया किसी भी निवेश या वित्तीय निर्णय से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श लें।