Milk Price Hike : दूध हुआ महंगा, जानिए अब कितने रुपये प्रति लीटर मिलेगा, आज से देशभर में नई कीमतें लागू।

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Milk Price Hike : हर घर में दूध की आवश्यकता होती है क्योंकि भारतीय रसोई और पोषण का दूध एक महत्वपूर्ण हिस्सा है क्योंकि यहां हर बार के लोगों को बच्चे हो बूढ़ा हो सब की सेहत के लिए दूध जरूरी होती है इसके अलावा चाहे चाय कॉफी नाश्ते एक कई तरह का व्यंजनों की सामग्री बनाने के लिए दूध का महत्वपूर्ण भूमिका होती है और ऐसे में पिछले कुछ महीनो से दूध की कीमतों में लगातार वृद्धि देखने को मिल रही है और ऐसे में किसानों और डेयरी उद्योगों को प्रभावित भी कर रही है इस लेख में कौन-कौन से ब्रांडों के द्वारा दूध की कीमत बढ़ाई गई है और इसका क्या मुख्य कारण है इन सभी के बारे में इस लेख में जानकारी प्रस्तुत की गई है।

दूध की हालिया कीमतें (मार्केट अपडेट)

नीचे देश के प्रमुख राज्यों और ब्रांडों की सबसे ताज़ा दूध दरों को सूचीबद्ध किया गया है (₹ प्रति लीटर):

ब्रांड / क्षेत्र दूध का प्रकार पुरानी कीमत वर्तमान दर

  • अमूल (गुजरात) फुल क्रीम दूध ₹64 ₹66
  • मदर डेयरी (दिल्ली–एनसीआर) टोंड दूध ₹56 ₹58
  • पराग (राजस्थान) डबल टोंड दूध ₹54 ₹56
  • सुधा (बिहार / पटना) फुल क्रीम दूध ₹62 ₹64
  • गोकुल (महाराष्ट्र) टोंड दूध ₹60 ₹62

अमूल फुल क्रीम में पिछले महीने ₹2 प्रति लीटर की वृद्धि हुई है।

  • मदर डेयरी ने टोंड दूध ₹2 /‑ बढ़ाकर ₹58 किया।
  • पराग और सुधा में भी ₹2 की बढ़ोतरी देखी गई है।
  • महाराष्ट्र में लोकप्रिय गोकुल दूध भी ₹2 लीटर के हिसाब से महँगा हो गया है।

इन ब्रांडों में कीमत बढ़ी है तो इसका मुख्य कारण बाज़ार में घटती आपूर्ति और बढ़ती उत्पादन लागत है।

दूध की कीमत बढ़ने के कारण

1. पशु चारे की महंगाई : गेहूं‑चारा, भूसा, मकई और सोया की कीमतों में 15–20% की वृद्धि हुई है। इससे डेयरी किसानों की लागत सीधे प्रभावित हुई है।

2. ईंधन की बढ़ी कीमत : डीज़ल और पेट्रोल की कीमतों में इज़ाफे से दूध के परिवहन की लागत बढ़ी है।

3. मार्केट की मांग–आपूर्ति असंतुलन : खासकर गर्मी के दिनों में दूध का उत्पादन कम हो गया और मांग स्थिर बनी रहने से कीमतों में दबाव बढ़ गया।

4. पशु स्वास्थ्य खर्च में वृद्धि : टीकाकरण, दवाइयाँ और बीमारियों का इलाज महँगा होने से पशुपालकों पर अतिरिक्त बोझ पड़ा।

5. मध्यस्थ और टैक्स स्ट्रक्चर : बिचौलियों की कमी नहीं हुई है—ट्रेडिंग के दौरान टैक्स, मार्जिन और देरी से आने वाली लागत उपभोक्ता तक पहुँच रही है।

असर – उपभोक्ता, किसान और डेयरी पर

  • उपभोक्ता खर्च बढ़ा : यदि एक परिवार दैनिक 4 लीटर दूध ले रहा है, तो फिर मासिक अतिरिक्त खर्च ₹240-₹480 तक पहुँच सकता है।
  • छोटे व्यवसायों पर दबाव : दूध पर आधारित भोजनालय, मिठाई दुकानें, दूध की चाय–कॉफी में कीमत बढ़ने लगी है, जिससे उनके ग्राहक प्रभावित हो रहे हैं।
  • किसानों को मिली थोड़ी राहत : अधिक कीमत मिलने पर कुछ हद तक फायदा हुआ है, लेकिन चारे की लागत के प्रतिशत में इज़ाफा चिंतनीय है। गेहूं या सोया की कीमत बढ़ी तो लागत ज्यों की त्यों रहती है।
  • डेयरी कंपनियों की चुनौतियाँ : क्वालिटी बनाए रखने में खर्च बढ़ा है। बिचौलियों के साथ टकराव और नियमन के मुद्दे भी सामने आए हैं।

समाधान और सुझाव

1. सरकार और स्थानीय सहयोग

  • डेयरी किसानों को फीड, दवाइयों और उपकरणों पर सब्सिडी और सहायता दी जानी चाहिए।
  • स्थानीय डेयरी को‑ऑपरेटिव समूह जैसे अमूल मॉडल से मध्यस्थ कम होंगे और उपभोक्ताओं को बेहतर कीमत मिलेगी।

2. तकनीकी निवेश

  • कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित पशु स्वास्थ्य मॉनिटरिंग, क्वालिटी टेस्टर, और ठंडा चेन लॉजिस्टिक्स से उत्पादन सुधारा जा सकता है।
  • इससे दूध खराब होने की संभावना घटेगी और गुणवत्ता बनी रहेगी।

3. उपभोक्ता विकल्प

  • स्किम्ड या टोंड दूध जैसे विकल्प चुनकर खर्च को नियंत्रित किया जा सकता है।
  • पैकेज्ड दूध के लेबल पढ़ें—ताज़गी और गुणवत्ता का आश्वासन मिले।

4. नियम और पारदर्शिता

  • सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम समर्थन कीमत (MSP) और उत्पादन लागत की पारदर्शिता हो।
  • क्वालिटी कंट्रोल एवं ब्रांडिंग की कड़ी निगरानी हो ताकि मिलावट से मुक्ति मिल सके।

निष्कर्ष

दूध की कीमतों में हालिया बढ़ोतरी कच्चे माल की महंगाई, ईंधन की बढ़ती दर, पशु स्वास्थ्य खर्च और मांग–आपूर्ति असंतुलन के मिलेजुले असर से हुई है। उपभोक्ता और किसान दोनों ही इससे सीधे प्रभावित हैं। हालांकि कुछ ब्रांडों ने ₹2–₹4/‑ प्रति लीटर की बढ़ोतरी की है, लेकिन अगर सरकार, डेयरी कंपनियां, किसान और उपभोक्ता मिलकर ASBIKRAN मॉडल को अपनाएँ—Availability, Support, Balanced Input, Knowledge & Regulation, Assurance, Negotiation—तो दूध की कीमत, उपलब्धता और गुणवत्ता एक संतुलित स्तर पर बनी रहेगी।

डिस्क्लेमर: यह लेख सूचना आधारित है, नवीनतम कीमतों की ताज़ा जानकारी पब्लिक मार्केट रिपोर्ट और ब्रांड वेबसाइटों (अमूल, पराग, मदर डेयरी, सुधा, गोकुल आदि) के आधार पर तैयार की गई है। लेकिन क्षेत्रीय भिन्नता और समय के अनुसार कीमतों में परिवर्तन संभव है। कृपया दूध खरीदने से पहले स्थानीय विक्रेता या ब्रांड वेबसाइट से अंतिम अपडेट ज़रूर देख लें।

मेरा नाम अंकित कुमार दुबे एक अनुभवी ब्लॉगर और कंटेंट राइटर हूं, जो पिछले 5 सालों से इसी के क्षेत्र में काम कर रहा हूं। अभी मैं hcpgcollege.co.in के कई अलग-अलग कैटेगरी जैसे कि सरकारी योजना, ट्रेंडिंग न्यूज़, टेक्नोलॉजी, और एजुकेशन पर कंटेंट लिख रहा हूं। मेरी कोशिश रहती है कि मैं अपनी शब्दों के जरिए लोगों को सही, सटीक और दिलचस्प जानकारी दे सकूं।

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